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वे कमलेया तेरी रजाई कित्थे है

टीचर- “इस शेर दा पंजाबी च अनुवाद करो … !”
“खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले . . .
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है ?”
पप्पु – “शायर केहँदा है कि खुद इन्ने उच्चे चढ जाओ .. इन्ने उच्चे …हिमालय तों वी उच्चे … बुलंदी ते . . .जदों तुसीं ठण्ड नाल कम्बण लग जाओगे तां रब्ब तुहानु पुछुगा … वे कमलेया तेरी रजाई कित्थे है

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