छुट्टी वाले दिन
Science कितनी भी तरक्की कर ले इस बात का
पता नहीं लगा सकता की..
काम वाले दिन सुबह नींद क्यों आती है और छुट्टी वाले दिन जल्दी क्यों खुल जाती है
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Science कितनी भी तरक्की कर ले इस बात का
पता नहीं लगा सकता की..
काम वाले दिन सुबह नींद क्यों आती है और छुट्टी वाले दिन जल्दी क्यों खुल जाती है
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गुरू जी , मुझे बताईए मैं कैसे अपने अंदर झाँकूँ ? कैसे अपनी कमियाँ ढूँढूँ ?
वत्स बहुत आसान है , शादी कर लो। तुम्हारी पत्नी न केवल तुम्हारी, बल्कि तुम्हारे पूरे ख़ानदान की कमियाँ इतनी बार गिनवाएगी कि तुम्हें याद हो जाएँगी ।
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बस कंडक्टर ने यात्रियों से कहा
,”भाइयों गेट पर मत लटको , अंदर आ जाओ ,
किसी ने नहीं सुनी।
कंडक्टर ने फिर कहा , ‘तुम्हें अपनी बीवी की कसम है ,अंदर आ जाओ ,
ये सुनते ही जो सीट पर बैठे थे वो भी गेट पर लटक गए.
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परेशानी का कोई माप दंड नहीं होता साहब….. कई लोग केवल ये सोचकर ही परेशान रहते है कि… कैमरा गोल होता है फिर.?? फोटो चौकोर क्यू आते हैं ????? और अब सभी यह सोच कर परेशान होंगे की यह बात हमने कभी क्यों नहीं सोची
पहले रिशतेदारी मैं जाकर लोग-बाग, राम-राम, खैती बाड़ी,काम-धंधे की पूछा करते थे. पर अब . . भीतर बड़ते हीं ऐसा कहते हैं. “बुआ सैमसंग का चार्जर हैं क्या…???